Homeलॉकडाउन दीवारों का, विचारों का नहीं [प्रथम खंड] (Hindi Edition)
लॉकडाउन दीवारों का, विचारों का नहीं [प्रथम खंड] (Hindi Edition)
लॉकडाउन दीवारों का, विचारों का नहीं [प्रथम खंड] (Hindi Edition)

लॉकडाउन दीवारों का, विचारों का नहीं [प्रथम खंड] (Hindi Edition)

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Product Description

लॉकडाउन का माहौल चल रहा है। कोरोना वायरस की महामारी पूरे विश्व में फैली हुई है। इसकी वजह से व्यक्ति की दिनचर्या में परिवर्तन आ गया है। मनुष्य घर-बंदी हो गया है। धीरे-धीरे हताश, निराश होने लगा है। ऐसा लगता है सृष्टि का अंत समीप है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ का नतीजा हमें भुगतना पड़ रहा है। लोग बेरोजगार हो गए है। भूखमरी, गरीबी ने अपना तांडव मचा रखा है। मदद के लिए आगे बढ़ने वाले हाथ धीरे-धीरे सिमटने लगे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था भी खतरे में पड़ गई है। भविष्य में किस तरह की भयावह स्थिति पैदा होगी,यह कहा नहीं जा सकता। निजी जिंदगी में भी व्यक्ति परेशानी का अनुभव कर रहा है। मन बड़ा ही व्यथित हो रहा है।

ऐसे समय में अपनी भावनाओं को किसी न किसी रूप में अभिव्यक्त करने की आवश्यकता सी जान पड़ रही थी। इसलिए मैंने इस पुस्तक में आप पाठकों के समक्ष अपने अनुभवों को कविता के रूप में रखने की कोशिश की है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी को यह अवश्य पसंद आयेगा।

--- नीलू गुप्ता (रचनाकार)

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